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Wednesday, December 21, 2022

Shayri

उम्र का बढ़ना तो दस्तूर-ए-जहाँ है.. महसूस ना करो तो बढ़ती कहाँ है.. 

एक उम्र वो थी कि जादू पर भी यक़ीन था, एक उम्र ये है कि हक़ीक़त पर भी शक है !! 

सुखी जीवन का छोटा सूत्र.. ना अपेक्षा ना उपेक्षा !!  

हम ऐसे वक्त में जी रहे हैं, जहां ड्रामें देखकर लोग रोते हैं,! और हकीकत देखकर कहते हैं, सब ड्रामा है!!

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